हमें अपनी आत्मिक आंखें खोलनी चाहिए और परमेश्वर को महिमा देनी चाहिए
जैसे यीशु की कृपा से एक अंधे आदमी की आंखें खुल गईं और गेहाजी ने
स्वर्गीय सेना देखी, पतरस और जक्कई ने महसूस किया कि यीशु परमेश्वर हैं,
वैसे ही जब हम अपनी आत्मिक आंखें खोलते हैं,
तो हम मसीह आन सांग होंग और माता परमेश्वर को खोज सकते हैं।
चर्च ऑफ गॉड के सदस्य, सब्त और नई वाचा के फसह सहित परमेश्वर की सभी आज्ञाओं का पालन करते हैं, जो कि मसीह आन सांग होंग द्वारा बहाल किए गए थे, और उन्हें आत्मिक विवेक देने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं।
उनके विषय में यशायाह की यह भविष्यद्वाणी पूरी होती है : ‘तुम कानों से तो सुनोगे, पर समझोगे नहीं; और आंखों से तो देखोगे, पर तुम्हें न सूझेगा।’ ... पर धन्य हैं तुम्हारी आंखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान कि वे सुनते हैं। मत्ती 13:14-16
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