बाइबल पढ़ने में एक महत्वपूर्ण वस्तु है जिस पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि हम केवल पुराने नियम का अध्ययन करते हैं, तो ऐसा लगता है कि वह नए नियम के विरोध में है। और यदि हम केवल नए नियम का अध्ययन करते हैं, तो ऐसा लगता है कि वह पुराने नियम के विरोध में है। इसलिए जब हम बाइबल का अध्ययन करते हैं, तब हमें सबसे पहले पुराने नियम और नए नियम के उद्देश्य को जानना चाहिए और पुराने नियम की शिक्षाओं और नए नियम की शिक्षाओं के बीच के अन्तर को ध्यान में रखना चाहिए। साधारण तौर पर बाइबल के विद्वान पुराने नियम के वचनों और नए नियम के वचनों की एक समान रूप से व्याख्या करते हैं। कुछ आयतों का एक ही अर्थ हो सकता है। परन्तु वास्तव में दोनों नियमों के बीच में आकाश व पृथ्वी, सूरज व चंद्रमा, वास्तविकता व छाया और सत्यता व प्रतिरूप जितना अंतर है। जब हम इसे समझकर अध्ययन करते हैं, तब हम दोनों नियमों के बीच बिना किसी विरोधाभास के, पुराने नियम के द्वारा, जो छाया है, उस नए नियम के, जो वास्तविकता है, गहरे सत्य को ढूंढ़ पाएंगे।
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