परमेश्वर ने प्रथम मनुष्य आदम और हव्वा से कहा,
“भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष में से कभी न खाना।
क्योंकि जिस दिन तू उसे खाएगा उस दिन अवश्य मर जाएगा।”
लेकिन, सर्प से भरमाए जाने के कारण आदम और हव्वा ने निषिद्ध वृक्ष में से खाया।
परिणामस्वरूप, वे अदन वाटिका में से निकाल दिए गए और उन पर मृत्यु आई।
अर्थात् यीशु का मांस और लहू प्रदान किया]
फसह के दिन पर, यीशु ने नई वाचा की घोषणा की जिसके जरिये
हम उनका मांस और लहू पाकर अनंत जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
यीशु ने स्वयं जानने दिया कि वह आप अदन वाटिका में के
जीवन के वृक्ष की वास्तविकता है।
इस महत्वपूर्ण फसह को 325 ईसवी में मिटा दिया गया
और इसे 1,600 वर्ष की लंबी अवधि तक नहीं मनाया गया था।
लेकिन आज, फसह को पुनर्स्थापित किया गया है
और जीवन के वृक्ष का मार्ग खुल गया है।
मसीह आन सांग होंग भविष्यवाणी के अनुसार दूसरी बार आए
और लंबे समय से बंद किए गए जीवन के वृक्ष के मार्ग को खोल दिया।
सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये
ऐसा भोज तैयार करेगा जिसमें भांति भांति का चिकना भोजन
और निथरा हुआ दाखमधु होगा... वह मृत्यु का सदा के लिये नाश करेगा...
उस समय यह कहा जाएगा, “देखो, हमारा परमेश्वर यही है...”
यशायाह 25:6-9
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