दस आज्ञाओं की पहली तख्तियों को तोड़ दिया गया क्योंकि इस्राएलियों ने
सोने के बछड़े की पूजा की थी। हालांकि, परमेश्वर ने दस आज्ञाओं की दूसरी पटियाएं
पश्चाताप करनेवाले लोगों को सातवें महीने के दसवें दिन पर दीं। परमेश्वर ने इस दिन को
प्रायश्चित्त के दिन के रूप में नियुक्त किया जिसमें पापों की क्षमा की प्रतिज्ञा शामिल है,
और सातवें महीने के पहले दिन को नरसिंगों के पर्व के रूप में नियुक्त किया।
प्रेरित यूहन्ना ने कहा कि सभी प्रार्थनाएँ धूप का धुआँ बन जाती हैं
और परमेश्वर के पास पहुंचाई जाती हैं। हमें यह महसूस करना चाहिए
कि पवित्र आत्मा आन सांग होंग और माता परमेश्वर मानवजाति के लिए
निवेदन कर रहे हैं जो कमजोर है, अर्थहीन चीजों का पीछा करती है,
और जो स्वर्ग में अनन्त आशीषों को देखने में विफल होती है।
हमें परमेश्वर के अनुग्रह के लिए धन्यवाद देते हुए,
परमेश्वर के पर्वों को पश्चातापी हृदयों के साथ मनाना चाहिए।
परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उसकी आशा रखते हैं,
तो धीरज से उसकी बाट जोहते भी हैं। इसी रीति से आत्मा भी
हमारी दुर्बलता में सहायता करता है : क्योंकि हम नहीं जानते
कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही
ऐसी आहें भर भरकर, जो बयान से बाहर हैं, हमारे लिये विनती करता है;
रोमियों 8:25-26
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