मूसा को मिली पहली दस आज्ञाओं को तोड़ दिया गया क्योंकि इस्राएलियों ने सोने के बछड़े की उपासना की थी।
इस्राएलियों को अपने पापों का एहसास होने और पश्चाताप करने के बाद, मूसा दूसरी दस आज्ञाओं के साथ नीचे आया,
जिन्हें परमेश्वर ने उन्हें क्षमा के संकेत के रूप में दिया था।
यह प्रायश्चित के दिन का मूल बन गया।
जब कोई व्यक्ति पाप करता है, तो वह पाप प्रायश्चित के दिन तक अस्थायी रूप से परमेश्वर,
यानी पवित्रस्थान में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
जब महायाजक परम पवित्रस्थान में प्रवेश करता है और लहू छिड़कने का कार्य करता है, तो पाप पूरी तरह से क्षमा हो जाता है।
इसी तरह, आज, यरूशलेम, जो परम पवित्रस्थान है, अर्थात माता परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त किए बिना,
कोई भी पूर्ण पापों की क्षमा या उद्धार प्राप्त नहीं कर सकता है।
“जब वह पवित्रस्थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिये प्रायश्चित्त कर चुके, तब जीवित बकरे को आगे ले आए;
और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों,
अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ
जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेजके छुड़वा दे।
वह बकरा उनके सब अधर्म के कामों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निर्जन स्थान में उठा ले जाएगा;
इसलिये वह मनुष्य उस बकरे को जंगल में छोड़ दे।
लैव्यव्यवस्था 16:20-22
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